भीमताल झील और विक्टोरिया बांध समेत ये हैं भीमताल के पांच प्रमुख आकर्षण
भीमताल आकर विक्टोरिया बांध देख सकते हैं जो भीमताल झील के अंत में बना हुआ है। बांध बेहद लुभावने दृश्य प्रदान करता है। पर्यटक, यहां एक मछलीघर भी देख सकते हैं जो कि भीमताल झील पर स्थित एक द्वीप पर बना हुआ है। यह झील हिमालय की कई ट्रांस चिडि़यों को आकर्षित करती है और उत्साही पर्यटकों को यहां नौका विहार की सुविधा भी प्रदान की जाती है। यहां एक श्राइन भी है जिसे कारटोटाका नाग मंदिर कहा जाता है जो नागों के देवता नाग कारटोटाका महराजा को समर्पित है, यह नाग देवता पौराणिक हैं। कई भक्त, ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं। यहां की लोक संस्कृति के संग्रहालय में रॉक कला, लोक चित्र, पुरातात्विक वस्तुएं और प्राचीन पांडुलिपियों को दर्शाया गया है। पर्यटक इस संग्रहालय में आकर, हिंदू धर्म के कई देवी और देवताओं की प्रतिमा और चित्रों को भी देख सकते हैं।
1) भीमताल झील
भीमताल झील, समुद्र स्तर से 4500 फीट की ऊंचाई पर स्थित, नैनीताल और उसके आसपास के इलाके में स्थित प्राकृतिक झीलों में से सबसे बड़ी है। इस झील का नाम पांच पांडवों में से एक पांडव भीम के नाम पर रखा गया। यह झील नैनीताल से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है जो पर्यटकों और नौसिखियों को पानी के पर्याप्त खेलों के साथ पैडलिंग और बोटिंग की सुविधा भी प्रदान करती है। यह झील कई जलीय प्रजातियों के लिए एक प्राकृतिक निवास स्थान है और यहां कई हिमायल ट्रांस के पक्षी व अन्य चिडि़यां जैसे – ब्लैक ईगल, वॉल कीपर वर्डस, ट्वानी फिश उल्लू, बुलबुल और एम्ब्रेल्ड डव आदि भी पाई जाती है, जो पर्यटकों का मन मोह लेती हैं।
2) भीमेश्वरा मंदिर
भीमेश्वरा मंदिर, भीमताल झील के किनारे या तट पर स्थित है। यह इस क्षेत्र का पुराना मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर की वर्तमान बिल्डिंग को चंद राजवंश के शासकों और कुमाउं के राजा, बाज बहादुर के द्वारा 17 वीं सदी में बनवाया गया था।
3) विक्टोरिया बांध
विक्टोरिया बांध, भीमताल झील के अंत में बना हुआ एक शानदार बांध हैं जो 40 फीट ऊंचा हैं। इस बांध के दोनो ओर सीढि़यों पर बागावानी की गई है। यह बांध पर्यटकों को लुभावना प्राकृतिक दृश्य प्रदान करता है। यहां पर लगाएं गए सुंदर जंगली फूल पर्यटकों को बेहद आकर्षित करते हैं। यहां बांध के बगल में ही भीमेश्वरा मंदिर स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है।
4) कोरटाटाका नाग मंदिर
यह एक पुराना नाग मंदिर है जो कोरटाटाका पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर नाग के देवता, नाग कोरटाटाका महाराजा को समर्पित है। इस पहाड़ी का नाम पौराणिक कोबरा कोरटाटाका के नाम पर रखा गया था। ऋषि पंचमी के अवसर पर, यहां भारी संख्या में श्रद्धालु प्रार्थना करने आते है और भगवान के दर्शन करते हैं। किंवदंतियों के अनुसार, यह भगवान सर्प के काटने से भक्तों की रक्षा करते हैं।
5) लोक संस्कृति संग्रहालय
भीमताल के लोक संस्कृति के संग्रहालय को लोक संस्कृति संग्रहालय के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटक यहां आकर तस्वीरों के विशाल संग्रह के साथ – साथ कीमती कलाकृतियों को भी देख सकते हैं। इस संग्रहालय में उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति को दर्शाने वाली विभिन्न पुरातात्विक वस्तुओं और रॉक कला का भी उम्दा कलेक्शन है। पर्यटक यहां आकर लोक चित्रों, लकड़ी की कलाकृतियों, प्राचीन पांडुलिपियों, भगवान और देवी की छवियों, कृषि के औजारों और वेशभूषा को भी देख सकते हैं।
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