पूरब का वेनिस कहलाता है केरल का अलेप्पी

शांति और फुरसत के पल बिताने की जगह के रूप में प्रसिद्ध अलेप्पी को पूरब का वेनिस कहा जाता है। यहाँ की नहरों और पाम के पेड़ों के बीच स्थित सुन्दर जलभराव और हरियाली रोमाँच को जागृत कर आपको कल्पनाओं के नये आयाम में पहुँचा देते हैं। केरल के प्रथम योजनाबद्द तरीके से निर्मित शहरों में से एक, इस शहर में जलमार्ग के कई गलियारे हैं जो वास्तव में एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में मदद करते हैं और आपकी यात्रा को यादगार बनाते हैं। अलेप्पी की यात्रा पर आप यहाँ के जलभराव और मनोरम दृश्यों की प्रशंसा करने के लिये मजबूर हो जायेंगें। समुद्रतट, झीलें और प्रख्यात हाउसबोट आप की इन्तजार कर रहे हैं!

गौरवशाली इतिहास में नौकायन –

अलेप्पी नौकायन रेस यहाँ उपस्थित जलभराव के कारण अलेप्पी प्रति वर्ष नौकायन रेस की नेहरू ट्रॉफी का आयोजन करता है जिसमें आस पास के क्षेत्र के कई बोट क्लब प्रतिभाग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि विजेता को चलवैजन्ती ट्रॉफी देने की परम्परा की शुरुआत जवाहर लाल नेहरू द्वारा उनके इस शहर के एक भ्रमण के दौरान हुई थी। अपने नौकाविहार के अनुभव से प्रसन्न होकर उन्होंने प्रथम आने वाले दल के परिश्रम और कला को सम्मानित करने का फैसला किया। यह प्रतियोगिता अब 60 वर्ष पुरानी हो गई है किन्तु अभी भी उल्लास के साथ मनाई जाती है। अगस्त महीने के दूसरे सोमवार को आयोजित होने वाली यह प्रतियोगिता अलेप्पी के शांत जल को तरंगित कर देती है और साथ ही पूरा शहर जोश से भर जाता है। जून – जुलाई की भारी बारिश के बाद का यह समय केरल की यात्रा के लिये सटीक रहता है।

अलेप्पी जाने का सबसे अच्छा समय

यहाँ आने का सबसे सुरक्षित समय नवम्बर से फरवरी के बीच का है।

कैसे जाएं अलेप्पी

अलेप्पी आने के लिये आप बस, रेल अथवा वायुयान से यात्रा कर सकते हैं। शहर का अपना कोई हवाईअड्डा नहीं है किन्तु कोची हवाईअड्डा यहाँ के लिये निकटतम हवाईअड्डा हैं। देश के प्रमुख शहरों से यहाँ के लिये सीधी बस एवं रेल सुविधाये उपलब्ध हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 47 शहर के बीच से गुजरता है जिसकी वजह से यह जगह राज्य के कुछ शहरों से जुड़ा हुई है।

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